कबड्डी! नाम सुनते ही जोश चढ़ जाता है, है ना? इस खेल की धड़कन हिंदुस्तान की मिट्टी में बसी हुई है। इसे सिर्फ खेल मत समझो, ये तो एक जज़्बा है, जुनून है। वैसे, क्या तुम जानते हो कि कबड्डी का इतिहास हज़ारों साल पुराना है? हां, ये वही खेल है जो महाभारत काल से चला आ रहा है।
अब थोड़ा पीछे चलते हैं। माना जाता है कि कबड्डी की शुरुआत भारत के गाँवों में हुई थी। खेतों-खलिहानों में बच्चे मिट्टी में खेलते थे और धीरे-धीरे ये खेल एक मज़बूत खेल बन गया। कहते हैं कि इसे युद्ध कौशल विकसित करने के लिए खेला जाता था। यानि, खेल भी और ट्रेनिंग भी! दो काम एक साथ।
वैसे, अगर इतिहास की किताबों में झांकें तो तमिलनाडु के संगम साहित्य में भी कबड्डी का ज़िक्र मिलता है। उस दौर में योद्धाओं को यह खेल सिखाया जाता था ताकि वे बिना किसी हथियार के भी लड़ने में माहिर बन सकें। सोचो ज़रा, आज जो हम शौक से खेलते हैं, कभी वो रणनीति और ताकत का खेल हुआ करता था!
समय बदला, खेल भी बदलता गया। 1920 के दशक में कबड्डी ने संगठित रूप लेना शुरू किया। 1938 के राष्ट्रीय खेलों में इसे पहली बार आधिकारिक रूप से शामिल किया गया। लेकिन असली धमाका तब हुआ जब 1950 में ऑल इंडिया कबड्डी फेडरेशन बनी। बस फिर क्या था, खेल ने रफ्तार पकड़ ली!
कबड्डी! नाम सुनते ही जोश चढ़ जाता है
अब बात करते हैं प्रो कबड्डी लीग की। 2014 में इसकी शुरुआत हुई और देखते ही देखते यह पूरे देश का सबसे पसंदीदा खेल बन गया। वजह? इसमें रोमांच कूट-कूट कर भरा है। हर रेड में एक अलग ही सस्पेंस होता है। एक सांस में पूरी टीम को चित करने का जुनून, वाह! मज़ा ही आ जाता है।
आज भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में कबड्डी का परचम लहरा रहा है। ईरान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, साउथ कोरिया—हर जगह इसे पसंद किया जाता है। हां, भारत इस खेल में आज भी नंबर वन है।
कबड्डी का असली मज़ा मिट्टी के अखाड़े में आता है। हालांकि अब ये मैट पर भी खेला जाता है, लेकिन वो जो गाँव की धूल, पसीना और जज़्बा होता है, वो अलग ही लेवल का होता है। और हां, अगर फिटनेस की बात करें, तो कबड्डी खेलने से बॉडी जबरदस्त बनती है। स्पीड, स्टैमिना और स्ट्रेंथ तीनों का कॉम्बो पैक है ये!
तो अगली बार जब कोई पूछे कि कबड्डी क्यों खेलते हो, तो बता देना—ये सिर्फ खेल नहीं, ये एक विरासत है। इतिहास से लेकर आज तक, यह खेल हमारी पहचान का हिस्सा रहा है। और हां, “कबड्डी, कबड्डी” चिल्लाना मत भूलना!
अब ज़रा कबड्डी के नियमों पर नज़र डालते हैं
अब ज़रा कबड्डी के नियमों पर नज़र डालते हैं। खेल दो टीमों के बीच खेला जाता है, और हर टीम में सात खिलाड़ी होते हैं। रेडर का काम होता है विरोधी टीम के खिलाड़ियों को छूकर वापस लौटना, और वो भी बिना सांस रोके! हां, इसमें सांस रोककर “कबड्डी, कबड्डी” बोलना ज़रूरी होता है। अगर रेडर को पकड़ लिया गया, तो वो आउट हो जाता है।
डिफेंडर्स का काम होता है रेडर को रोकना और पकड़कर उसे वापस जाने से रोकना। खेल में रणनीति बहुत मायने रखती है, क्योंकि टीम वर्क और तेज़ दिमाग ही जीत की कुंजी होते हैं। कबड्डी में प्वाइंट्स भी मिलते हैं, रेड करने, टैकल करने और ऑल-आउट करने पर।
भारत में कई दिग्गज कबड्डी खिलाड़ी हुए हैं, जिन्होंने इस खेल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। अजय ठाकुर, अनूप कुमार, पवन सहरावत जैसे खिलाड़ियों ने अपनी स्किल्स से पूरे देश को गौरवान्वित किया है। प्रो कबड्डी लीग ने इन खिलाड़ियों को स्टार बना दिया है और इस खेल को एक ग्लैमरस टच भी मिला है।
आज कबड्डी सिर्फ गाँवों तक सीमित नहीं है, बल्कि बड़े-बड़े स्टेडियम में खेली जाती है। इसे देखने लाखों लोग आते हैं और टीवी पर भी इसकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। भारत के लिए ये खेल सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि गर्व की बात है।
तो दोस्तों, कबड्डी सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। चाहे गाँव का मैदान हो या प्रो कबड्डी का मंच, जोश वही रहता है! अगली बार मौका मिले, तो खुद खेलकर देखना, असली मज़ा तभी आएगा!